“रावण” तो सिर्फ एक है दुनिया में इस नाम का कोई दूसरा व्यक्ति नही है | राम तो बहुत मिल जायेंगे लेकिन रावण नही.
| राजाधिराज लंकाधिपति महाराज रावण को दशानन भी कहते है | कहते है कि रावण लंका का तमिल राजा था |
सभी ग्रंथो को छोडकर वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण महाकाव्य में रावण का सबसे प्रमाणिक इतिहास मिलता है
इस दशहरा
हम आज आपको रावण के बारे मैं बताते हे।
कुछ amazing facts
By Neeraj Banger
1. रावण के दादाजी का अनाम प्रजापति पुलत्स्य था जो ब्रह्मा जी के दस पुत्रो में से एक थे | इस तरह देखा जाए तो रावण ब्रह्मा जी का पडपौत्र हुआ जबकि उसने अपने पिताजी और दादाजी से हटकर धर्म का साथ न देकर अधर्म का साथ दिया था |
2. हिन्दू ज्योतिषशास्त्र में रावण संहिता को एक बहुत महत्वपूर्ण पुस्तक माना जाता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि रावण संहिता की रचना खुद रावण ने की थी |
3.रामायण में एक जगह यह भी बताया गया है कि रावण में भगवान राम के लिए यज्ञ किया था | वो यज्ञ करना रावण के लिए बहुत जरुरी था क्योंकि लंका तक पहुचने के लिए जब राम जी की सेना ने पुल बनाना शुरू किया था तब शिवजी का आशीर्वाद पाने से पहले उसको राम जी का आराधना करनी पड़ी थी |
4. रावण तीनो लोको का स्वामी था और उसने न केवल इंद्र लोक बल्कि भूलोक के भी एक बड़े हिस्से को अपने असुरो की ताकत बढाने के लिए कब्जा किया था |
5. रावण अपने समय का सबसे बड़ा विद्वान माना जाता है और रामायण में बताया गया है कि जब रावण मृत्यु शय्या पर लेटा हुआ था तब राम जी ने लक्ष्मण को उसके पास बैठने को कहा था ताकि वो मरने से पहले उनको राजपाट चलाने और नियन्त्रण करने के गुर सीखा सके |
6. रावण को आर्युवेद का बहुत ज्ञान था और उसने आर्युवेद के लिए बहुत योगदान दिया था .अर्द्ध प्रकाश नाम की एक किताब भी रावण ने लिखी थी .जिसमे आर्युवेद से जुडी हुई बहुत सारी जानकारी थी .रावण को ऐसे चावल भी बनाने आते थे जिसमे परचुर मात्रा में विटामिन होते थे और यही चावल वो सीता जी को दिया करता था .
7.कविताये लिखने में भी रावण पारंगत था .रावण सिर्फ एक योद्धा नहीं था .उन्होंने बहुत सारी कविताये और श्लोक की रचनाये भी की थी .शिव तांडव भी इन्ही रचना में से एक है .रावण ने भगवान शिव जी को खुश करने के लिए एक कविता “मैं कब खुश होऊंगा ” लिखी थी .भगवान शिव इतने खुश हुए की उन्होंने रावण को वरदान दे दिया .
8.रावण को सगीत का भी बहुत ज्ञान और शोक था . रूद्र विणा बजने में रावण से कोई नहीं जित सकता था .रावण जब भी परेशान या चिंतित होता तो रूद्र विणा बजाने लगा था .रावण के एक “वोइलन ” भी बनया था जिसे रावण हथा कहते है .और आज भी राजस्थान में इसे बजाय जाता है .
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