Saturday, 30 September 2017

Bhagat Singh

भगत सिंह का जीवन परिचय्

By Anand Banger

भगत सिंह

आज तक आप सब ने अनेक जीवन परिचय् पढ़े होंगे। लेकिन आज हम लेकर आये हे सहीद भगत सिंह का जीवन परिचय्



भगत सिंह का जन्म *27 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा में (अब पाकिस्तान में) हुआ था उनका पैतृक गांव खट्कड़ कलाँ  है जो पंजाब, भारत में है। उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था। भगत सिंह का परिवार एक आर्य-समाजी सिख परिवार था।  भगत सिंह करतार सिंह सराभा और लाला लाजपत राय से अत्याधिक प्रभावित रहे।


13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह के बाल मन पर बड़ा गहरा प्रभाव डाला। उनका मन इस अमानवीय कृत्य को देख देश को स्वतंत्र करवाने की सोचने लगा। भगत सिंह ने चंद्रशेखर आज़ाद के साथ मिलकर क्रांतिकारी संगठन तैयार किया।

लाहौर षड़यंत्र मामले में भगत सिंह,  सुखदेव और राजगुरू को फाँसी की सज़ा सुनाई गई व बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास दिया गया।

भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 की शाम सात बजे सुखदेव और राजगुरू के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। तीनों ने हँसते-हँसते देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया

भगत सिंह एक अच्छे वक्ता, पाठक व लेखक भी थे। उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखा व संपादन भी किया।

उनकी मुख्य कृतियां हैं, 'एक शहीद की जेल नोटबुक (संपादन: भूपेंद्र हूजा), सरदार भगत सिंह : पत्र और दस्तावेज (संकलन : वीरेंद्र संधू), भगत सिंह के संपूर्ण दस्तावेज (संपादक: चमन लाल)।



संपादक की टिप्पणी - भगत सिंह के जन्म-दिवस पर मतभेद है।  कई पुस्तकों में इनका जन्म-दिवस 28 सितंबर व कहीं-कहीं इनका जन्म-दिवस अक्टूबर भी दिया गया है।  वैसे पुरानी पुस्तकों व पत्र-पत्रिकाओं में भगत सिंह का जन्म दिवस आश्विन शुक्ल तेरस, संवत १९६४ को शनिवार के दिन प्रात: ६ बजे बताया गया है।  इस तिथि को कुछ विद्वानों ने 27 सितंबर 1907 तो कुछ ने 28 सितंबर बताया है।

भगतसिंह का बचपन

कहते हैं ‘पूत के पांव पालने में ही दिखाई पड़ जाते हैं'।
पांच वर्ष की बाल अवस्था में ही भगतसिंह के खेल भी अनोखे थे। वह अपने साथियों को दो टोलियों में बांट देता था और वे परस्पर एक-दूसरे पर आक्रमण करके युद्ध का अभ्यास किया करते। भगतसिंह के हर कार्य में उसके वीर, धीर और निर्भीक होने का आभास मिलता था।

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यह आलेख भगत सिंह ने जेल में रहते हुए लिखा था जो लाहौर से प्रकाशित समाचारपत्र  "द पीपल" में 27 सितम्बर 1931 के अंक में प्रकाशित हुआ था। भगतसिंह ने अपने इस आलेख में ईश्वर के बारे में अनेक तर्क किए हैं। इसमें सामाजिक परिस्थितियों का भी विश्लेषण किया गया है।
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