भगवान शिव शंकर, महादेव, भोलेनाथ रोचक् जानकारी
जितनी विचित्र भगवान शिव की वेशभूषा है, उतने ही विचित्र उनसे जुड़े तथ्य भी है। शिव गले में नाग डालते है, श्मशानों में वास करते है और भांग व धतूरा भी ग्रहण करते है।भगवान शिव त्रिमूर्ति में से एक हैं। अन्य दो भगवान विश्व रचयिता बह्मा तथा संरक्षक देवता विष्णु हैं। शिव को विनाशक माना जाता है। उन्हें देवों का देव कहा जाता है। उन्हें असीम, निराकार और तीनों देवताओं में सबसे बड़ा माना जाता है।
Lord Shiva Shankar
By Anand Banger
1. भगवान शिव का कोई माता-पिता नही है. उन्हें अनादि माना गया है. मतलब, जो हमेशा से था. जिसके जन्म की कोई तिथि नही.
2. हनुमान को भगवान शिव का 11वाँ अवतार माना जाता है।
भगवान शिव के 19 अवतारों में भैरव, हनुमान, अश्वत्थामा इत्यादि भी आते है।
3. भगवन शिव का "नटराज" रूप ब्रह्माण्ड के विनाश और पुनिर्माण से जुड़ा है।
4. किसी भी देवी-देवता की टूटी हुई मूर्ति की पूजा नही होती. लेकिन शिवलिंग चाहे कितना भी टूट जाए फिर भी पूजा जाता है.
5. अर्धनारीश्वर रूप भगवान शिव और शक्ति का आधा आधा हिस्सा मिलाकर बनता है।
6. शंकर भगवान की एक बहन भी थी अमावरी. जिसे माता पार्वती की जिद्द पर खुद महादेव ने अपनी माया से बनाया था.
7. भगवान शिव का सबसे महत्वपूर्ण नृत्य "तांडव" है। जिसे मौत का नृत्य कहा जाता है। भगवान शिव ब्रह्माण्ड का विनाश करने के लिए तांडव करते है।
8. हम शिवरात्री इसलिए मनाते है क्योंकि इस दिन शंकर-पार्वती का ब्याह हुआ था.
9. भगवान शिव की तीसरी आँख उनके ज्ञान और अंतर्ज्ञान को दर्षाती है।
10. शिवलिंग पर बेलपत्र तो लगभग सभी चढ़ाते है. लेकिन इसके लिए भी एक ख़ास सावधानी बरतनी पड़ती है कि बिना जल के बेलपत्र नही चढ़ाया जा सकता.
11. शंकर भगवान और शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नही चढ़ाया जाता. क्योकिं शिव जी ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया था. आपको बता दें, शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख बना था.
12. भगवान शिव के गले में जो सांप लिपटा रहता है उसका नाम है वासुकि. यह शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा था. भगवान शिव ने खुश होकर इसे गले में डालने का वरदान दिया था.
13. चंद्रमा को भगवान शिव की जटाओं में रहने का वरदान मिला हुआ है.
14. जिस बाघ की खाल को भगवान शिव पहनते है उस बाघ को उन्होनें खुद अपने हाथों से मारा था.
15. नंदी, जो शंकर भगवान का वाहन और उसके सभी गणों में सबसे ऊपर भी है. वह असल में शिलाद ऋषि को वरदान में प्राप्त पुत्र था. जो बाद में कठोर तप के कारण नंदी बना था.
जितनी विचित्र भगवान शिव की वेशभूषा है, उतने ही विचित्र उनसे जुड़े तथ्य भी है। शिव गले में नाग डालते है, श्मशानों में वास करते है और भांग व धतूरा भी ग्रहण करते है।भगवान शिव त्रिमूर्ति में से एक हैं। अन्य दो भगवान विश्व रचयिता बह्मा तथा संरक्षक देवता विष्णु हैं। शिव को विनाशक माना जाता है। उन्हें देवों का देव कहा जाता है। उन्हें असीम, निराकार और तीनों देवताओं में सबसे बड़ा माना जाता है।
Lord Shiva Shankar
By Anand Banger
1. भगवान शिव का कोई माता-पिता नही है. उन्हें अनादि माना गया है. मतलब, जो हमेशा से था. जिसके जन्म की कोई तिथि नही.
2. हनुमान को भगवान शिव का 11वाँ अवतार माना जाता है।
भगवान शिव के 19 अवतारों में भैरव, हनुमान, अश्वत्थामा इत्यादि भी आते है।
3. भगवन शिव का "नटराज" रूप ब्रह्माण्ड के विनाश और पुनिर्माण से जुड़ा है।
4. किसी भी देवी-देवता की टूटी हुई मूर्ति की पूजा नही होती. लेकिन शिवलिंग चाहे कितना भी टूट जाए फिर भी पूजा जाता है.
5. अर्धनारीश्वर रूप भगवान शिव और शक्ति का आधा आधा हिस्सा मिलाकर बनता है।
6. शंकर भगवान की एक बहन भी थी अमावरी. जिसे माता पार्वती की जिद्द पर खुद महादेव ने अपनी माया से बनाया था.
7. भगवान शिव का सबसे महत्वपूर्ण नृत्य "तांडव" है। जिसे मौत का नृत्य कहा जाता है। भगवान शिव ब्रह्माण्ड का विनाश करने के लिए तांडव करते है।
8. हम शिवरात्री इसलिए मनाते है क्योंकि इस दिन शंकर-पार्वती का ब्याह हुआ था.
9. भगवान शिव की तीसरी आँख उनके ज्ञान और अंतर्ज्ञान को दर्षाती है।
10. शिवलिंग पर बेलपत्र तो लगभग सभी चढ़ाते है. लेकिन इसके लिए भी एक ख़ास सावधानी बरतनी पड़ती है कि बिना जल के बेलपत्र नही चढ़ाया जा सकता.
11. शंकर भगवान और शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नही चढ़ाया जाता. क्योकिं शिव जी ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया था. आपको बता दें, शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख बना था.
12. भगवान शिव के गले में जो सांप लिपटा रहता है उसका नाम है वासुकि. यह शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा था. भगवान शिव ने खुश होकर इसे गले में डालने का वरदान दिया था.
13. चंद्रमा को भगवान शिव की जटाओं में रहने का वरदान मिला हुआ है.
14. जिस बाघ की खाल को भगवान शिव पहनते है उस बाघ को उन्होनें खुद अपने हाथों से मारा था.
15. नंदी, जो शंकर भगवान का वाहन और उसके सभी गणों में सबसे ऊपर भी है. वह असल में शिलाद ऋषि को वरदान में प्राप्त पुत्र था. जो बाद में कठोर तप के कारण नंदी बना था.
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